उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग में आपका स्वागत है
पृष्ठभूमि
उत्तराखण्ड में ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहा पलायन एक गंभीर समस्या है | 2001 तथा 2011 की जनगणना के आकड़ों की तुलना में राज्य के पर्वतीय ज़िलों मे जनसंख्या वृधि बहुत धीमी गति से देखी जा रही है| 2001 और 2011 के बीच अल्मोड़ा तथा पौड़ी गढ़वाल जनपदों की आबादी मे गिरावट राज्य के कई पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों के बड़े पैमाने पर पलायन की और इशारा करती है| पलायन की गति ऐसी है की कई ग्रामों की आबादी दो अंको में रह गयी है| आकड़े दर्शाते हैं की देहरादून,उधमसिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार जैसे जनपदों मे जनसंख्या वृधि दर बढ़ी है, जबकि पौडी तथा आलमोरा जनपदों मे यह दर नकारात्मक है| टिहरी ,बागेश्वर,चमोली,रुद्रप्रयाग तथा पिथौरागढ़ जनपदों में असामान्या रूप से जनसंख्या वृधि दर काफ़ी कम है|
उत्तराखण्ड सरकार ने समस्या के सभी पहलुओं की जांच करने के लिए अगस्त 2017 में ग्रामीण विकास और पलायन आयोग का गठन किया है, जो राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रित विकास के लिए एक दृष्टिकोण विकसित करेगा , ज़मीनी स्तर पर बहु-क्षेत्रीय विकास पर सरकार को सलाह देगा, जिला और राज्य स्तरों पर सरकार को विभिन्न अन्य संबंधित मामलों को भी प्रस्तुत करेगा।
सुझाव
हम राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन की चुनौती को पूरा करने के लिए आपके सुझावों का स्वागत करते हैं और पलायन को रोकने के लिए बहुउद्देशीय ग्रामीण विकास की सुविधा प्रदान करते हैं।
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